सकारात्मक- एक भाव जिसे पाने के लिए लोग कितने जतन करते हैं. सकारात्मकता का महत्व जीवन में रिश्ते निभाने से लेकर अपने भविष्य को संवारने तक हर चीज में है. इसलिए जीवन के हर मोड़ पर इसका महत्व बढ़ जाता है. सही मायने मे सकारात्मकता का मतलब है हर परिस्थिति मे एक सुनहरी किरण देखना. किसी भी घटना का वो भाग देखना जो कि आपको उसके होने का मर्म समझाए.
हम अक्सर ऐसे लोग रहते हैं जो कि हर वक्त खुश ही रहते हैं, वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो हर समय किसी न किसी चिंता में डूबे रहते हैं. तो क्या राज है इसका ? क्या उन्हे सब कुछ मिल चुका है और इसलिए वे खुश है या फिर उन्हे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, वे पर चीज में कुछ अच्छा ढूंढ ही लेते है.
तो आइए आपको बताते है इस जादू को कैसे चलाया जाए कि आपकी हंसी आपके चेहरे से कभी अलग न हो.
हर घटना के पीछे कारण
एक बात जान लें कि जो भी होता है उसके पीछे एक कारण जरूर होता है. हो सकता है कि तब आप उससे सहमत न हो लेकिन कभी न कभी आपको उस घटना की मर्म जरूर समझ आता है. इसे ऐसे समझ सकते है कि आप चढ़ाई चढ रहे हैं तो आपको ठीक से रास्ता नहीं दिखेगा. वहीं जब आप सभी मुश्किलों से निकलकर ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं तो आपको रास्ता साफ नजर आने लगता है.
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